खड़गपुर, गुरुवार की रात नीलाद्रीबिजे के साथ रथ यात्रा का समापन हुआ। नीलाद्रीबिजे में भगवान जगन्नाथ, सुभद्रा व बलराम को रथ से पुनः मंदिर में प्रतिष्ठित किया गया। बुधवार यानि एकादशी को रथ में ही भगवान को स्वर्णालंकार किया गया था।
इससे पहले भगवान सोमवार को मौसी घर से लौटे थे उक्त अवसर पर सेवा शिविर भी आयोजित की गई थी विदित हो कि पुरी कि तर्ज पर हमारे शहर खड़गपुर में भी कई बड़े छोटे जगन्नाथ मंदिरों में रथ यात्रा निकाली गई जिसमे खड़गपुर स्थित नये खोली जगन्नाथ मंदिर, सुभाषपल्ली, मलंचा, तालबागीचा मंदिर के अलावा कई घरों के पारंपरिक रथ यात्रा भी निकाली गई।
कही पर बड़े, छोटे मेले तो कही पर जनमानस सेवा शिविर लगाए गए। इसी कड़ी में शहर के प्राचीन रथ यात्रा कि सवारी मलंचा रथ मैदान से निकल कर अतुलमनी स्कूल चौक तक फेरा लगाते हुए प्रजापति भवन के पास श्री संकट मोचन हनुमान मंदिर के प्रांगण मे विश्राम ली।
विगत 22 वर्षों से मंदिर समिति इस मौके पर लोगों के लिए सेवा शिविर का आयोजन करती आ रही है, इस वर्ष भी रथ यात्रा के पहले दिन और अंतिम दिन मंदिर समिति के द्वारा बड़े व्यापक ढ़ंग से लोगों के लिए लस्सी, शरबत, ठंड़ा पनी, चना मूंग और फलों कि व्यवस्था रखी गई थी जिसका भक्तों ने जमकर लाभ लिया। नीमपुरा स्थित पंचमुखी हनुमान मंदिर कि और से भी बड़े स्तर पर सेवा कार्यक्रम चला।
খড়্গপুর, বৃহস্পতিবার রাতে নীলাদ্রিবিজে প্রোগ্রাম সঙ্গে শেষ হল রথযাত্রা। নীলাদ্রিবিজে ভগবান জগন্নাথ, সুভদ্রা ও বলরামকে রথ থেকে মন্দিরে পুনঃপ্রতিষ্ঠিত করা হয়। বুধবার অর্থাৎ একাদশীতে ভগবানকে সোনা দিয়ে সাজানো হয়েছিল রথেই।
এর আগে, ভগবান সোমবার মাসির বাড়ি থেকে ফিরে এসেছিলেন, উল্লেখ্য যে পুরীর মতো আমাদের শহর খড়্গপুরের অনেক ছোট-বড় জগন্নাথ মন্দিরে রথযাত্রা বের করা হয়েছিল। যার মধ্যে রয়েছে খড়গপুরে অবস্থিত সদ্য খোলা জগন্নাথ মন্দির, সুভাষপল্লী, মালঞ্চা, তালবাগিচা মন্দির ছাড়াও বহু বাড়ি থেকে ঐতিহ্যবাহী রথযাত্রা বের করা হয়।
কোথাও কোথাও ছোট-বড় মেলার আয়োজন করা হয়েছে এবং অন্য জায়গায় জনসেবা শিবিরের আয়োজন করা হয়েছে। এরই ধারাবাহিকতায় শহরের প্রাচীন রথযাত্রা শোভাযাত্রাটি মালঞ্চা রথ মাঠ থেকে অতুলমণি স্কুল চক পর্যন্ত প্রজাপতি ভবনের কাছে শ্রী সংকট মোচন হনুমান মন্দিরের প্রাঙ্গণে বিশ্রাম নেয়।
গত 22 বছর ধরে মন্দির কমিটি এই উপলক্ষ্যে মানুষের জন্য সেবা শিবিরের আয়োজন করে আসছে, এ বছরও রথযাত্রার প্রথম দিন ও শেষ দিনে মন্দির কমিটির পক্ষ থেকে লস্যি, শরবত, থান্ডা পানি, খাবারের ব্যবস্থা করা হচ্ছে। ছোলা, মুগ ও ফলমূল তৈরি করা হয় যার পূর্ণ সুবিধা গ্রহণ করেন ভক্তরা। নিমপুরায় অবস্থিত পঞ্চমুখী হনুমান মন্দিরে আরও বৃহত্তর পরিসেবা কার্যক্রম পরিচালিত হয়েছিল।
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