मतुआ संप्रदाय के लोगों ने मनाया श्री श्री हरिचांद ठाकुर का 33वां वार्षिक धार्मिक उत्सव, तीन दिनों तक चला धार्मिक अनुष्ठान

 

खड़गपुर, श्री श्री हरिचांद ठाकुर का 33वां वार्षिक धर्मोत्सव उत्तर भवानीपुर में श्री श्री हरिचांद ठाकुर मंदिर ठाकुरपल्ली में मनाया गया।

तीन दिनों से चले आ रहे उत्सव शुक्रवार की रात समापन हुआ। इस दौरान भजन कीर्तन, पूजा पाठ व अन्य धार्मिक कार्य़क्रम हुआ। इस अवसर पर सयुक्त सचिव मनोरंजन सरकार, अध्यक्ष अपूर्व नाग, संतोष कुमार व अन्य उपस्थित थे।

 

 

संयुक्त सचिव श्री रबिन चंद्र हालदार ने बताया कि खड़गपुर में लगभग दो हजार मतुआ रहते हैं ये लोग भवानीपुर, सुभाषपल्ली व तालबगीचा इलाके में है। जिले में गढ़बेत्ता सहित अन्य कई इलाके में रहते है। मतुआ संप्रदाय के लोग मूलतः बांग्लादेश के हिंदु है। हरिचांद ठाकुर उसके बेटे गुरुचांद ठाकुर व नाती प्रमथ रंजन ठाकुर को ये लोग भगवान की तरह पूजते हैं।

 

हरिचांद बांग्लादेश के सपनाडांगा गाव में रहते थे जहां उत्पीड़न होने पर वे ओरांकादीन चले गए व बड़े कष्ट से परिवार को पाला था। हरिचांद पांच भाईयों में दूसरे नंबर पर थे। मान्यता है कि हरिचांद की महिमा इतनी थी कि वे मरणासन्न को भी जीवित कर देते थे व उसके घऱ आए लोग ठीक हो जाते थे।

मतुआ संप्रदाय का मानना है कि अगर सीएए के तहत भारतीय नागरिकता मिली तो उनलोगों के लिए अच्छा रहेगा।

 

মতুয়া সম্প্রদায়ের লোকেরা শ্রী শ্রী হরিচাঁদ ঠাকুরের 33 তম বার্ষিক ধর্মীয় উত্সব উদযাপন করেছে

শ্রী শ্রী হরিচাঁদ ঠাকুরের 33 তম বার্ষিক ধর্মীয় উত্সব উত্তর ভবানীপুরের শ্রী শ্রী হরিচাঁদ ঠাকুর মন্দির ঠাকুরপল্লীতে পালিত হল। তিন দিনব্যাপী এ উৎসব শেষ হয়েছে শুক্রবার রাতে। এ সময় ভজন, কীর্তন, পূজা ও অন্যান্য ধর্মীয় অনুষ্ঠান অনুষ্ঠিত হয়। এ সময় উপস্থিত ছিলেন যুগ্ম সম্পাদক মনোরঞ্জন সরকার, সভাপতি অপূর্ব নাগ, সন্তোষ কুমার প্রমুখ।

যুগ্ম-সচিব শ্রী রবীন চন্দ্র হালদার জানান, খড়্গপুরে প্রায় দুই হাজার মতুয়াদের বসবাস, এই মানুষগুলো ভবানীপুর, সুভাষপল্লী ও তালবাগিচা এলাকায়। জেলার গড়বেত্তা সহ আরও অনেক এলাকায় বসবাস করেন। মতুয়া সম্প্রদায়ের লোকেরা মূলত বাংলাদেশের হিন্দু। এই লোকেরা হরিচাঁদ ঠাকুর, তার পুত্র গুরুচাঁদ ঠাকুর এবং নাতি প্রমথ রঞ্জন ঠাকুরকে ভগবানের মতো পূজা করে।

হরিচাঁদ বাংলাদেশের সপনডাঙ্গা গ্রামে বাস করতেন, যেখানে নিপীড়নের কারণে তিনি ওরানকাদিনে যান এবং অনেক কষ্টে তার পরিবারকে লালন-পালন করেন। পাঁচ ভাইয়ের মধ্যে হরিচাঁদ ছিলেন দ্বিতীয়। এটা বিশ্বাস করা হয় যে হরিচাঁদের মহিমা এতটাই ছিল যে তিনি এমনকি মৃত মানুষকেও জীবিত করে তুলতে পারতেন এবং তার বাড়িতে আসা লোকজন সুস্থ হয়ে যেতেন।

মতুয়া সম্প্রদায় বিশ্বাস করে যে তারা CAA এর অধীনে ভারতীয় নাগরিকত্ব পেলে তাদের জন্য ভাল হবে।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

0 Shares
  • 0 Facebook
  • X (Twitter)
  • LinkedIn
  • Copy Link
  • Email
  • More Networks
Copy link