फिर हौसलों को तोलना है हमें . . .
✍️ जे. आर गंभीर
26 जनवरी गणतंत्र दिवस के तौर पर 1950 से पालन
होना शुरु हुआ क्योंकि इसी दिन हमारा संविधान लागू हुआ और हम ब्रिटिश राज से पूर्ण रुप से आजाद हुए . यह संविधान ही है जो हमें नागरिक-अधिकार दिया है . समाज और राज के सही संचालन के लिए कायदे – कानून व तौर-तरीके दिए हैं जो सारे भारतीयों को
एक सूत्र में बांधे रखा है इसीलिए आज का दिन हम भारतीयों के लिए काफी महत्वपूर्ण है अतः यह हमारी जिम्मेवारी है कि हम उन सारे सेनानियों को याद रखें , सलाम करें , यथोचित सम्मान दें जो आजाद लोकतांत्रिक राष्ट्र के निर्माण में खुद को बलिदान कर दिए .
संविधान ही वह दास्तावेज है जिससे सरकार संचालित होती है , सरकारी कार्य पद्धति को राहें मिलती है . हम नागरिकों के अधिकार व कर्तव्य स्पष्ट होती है . एक तरह से गणतंत्र दिवस भारत का राष्ट्रीय पर्व है और संविधान की नजर में सभी बराबर हैं यह संविधान डॉ भीमराव अंबेडकर की अध्यक्षता वाली समिति द्वारा रची गई . हर एक विवाद के निबटारे के लिए हम अक्सर संविधान पर ही आश्रित रहते हैं हालांकि इसमें कई बार आवश्यक व अनावश्यक रुप से संशोधन भी होता रहा है .
आज के नए परिस्थिति में देखें तो पहले बतौर शोषक हमारे सामने ब्रिटिश थे परंतु आज तो हम आज़ाद हैं फिर भी हमारे देश में तरह – तरह की समस्याएं हैं . ऐसा इसलिए है क्योंकि हम लगातार शराफत , ईमानदारी , इंसानियत से दूर होकर स्वार्थ , लोभ और लाभ के गुलाम बनते जा रहे हैं और छोटी-छोटी स्वार्थ के लिए , फ्री की रेवड़ी के लालच में बदनीयतों को सत्ता थमा दे रहे हैं और दौलत की हवस में चरित्रहीन और भ्रष्ट शासन हमें किस्म – किस्म के घपलों का कमाल दिखाते रहते हैं . राजनैनिक दल अपराधियों के गिरोह की तरह , योजना बनाकर घोटालों को अंजाम दे रहे हैं. जनता ठगे जाने जाने के बावजूद भी मुंह नही खोलते . जबकि हमें आंखें खोलकर सबकुछ देखना – सुनना और समझना चाहिए और सही निर्णय लेना चाहिए ताकि गद्दार और भ्रष्टाचारी दीमक देश को फिर से खोखला न कर दें इसीलिए –
हौसलों को फिर तोलना होगा .
खतरे उठा कर सच बोलना होगा .
पर्त झूठ की खोलना होगा,
चेतना जहन में घोलना होगा.
✍️ जे. आर गंभीर
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