कुछ सपनों के मर जाने से, जीवन नहीं मरा करता है– कुछ इनहीं भावों के साथ खड़गपुर कारखाना में हिन्दी सप्ताह का समापन। खड़गपुर कारखाना में 14 सितम्बर से 21 सितम्बर तक हिंदी सप्ताह मनाया गया। 21 सितम्बर को हिंदी सप्ताह समारोह बड़े धूमधाम से मनाया गया। कर्मचारियों के लिए इस अवसर पर हिंदी निबंध, हिंदी वाक् प्रतियोगिता, हिंदी टिप्पण व प्रारुप लेखन प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया। ज्ञात हो कि 14 सितम्बर,1949 को हिंदी को संवैधानिक दर्जा मिला। तब से सम्पूर्ण भारत में 14 सितम्बर को हिंदी दिवस के रुप में मनाया जाता है।
समापन समारोह के मुख्य अतिथि खड़गपुर कारखाना के मुख्य कार्य प्रबंधक, बिजय कुमार रथ थे। उप मुख्य राजभाषा अधिकारी, अब्दुल हई ने मुख्य अतिथि का स्वागत पुष्पगुच्छ देकर किया। अन्य अधिकारियों में उप मुख्य यांत्रिक इंजीनियर (डीजल) आशुतोष कुमार, उप मुख्य बिजली इंजीनियर (इआरएस-पीओएच) बाबुल बर्मन , उप मुख्य यांत्रिक इंजीनियर (कैरेज) पी. के. पटनायक, वरीय लेखाधिकारी शंकर दूबे, उप मुख्य यांत्रिक इंजीनियर (हल्दिया) नरेन्द्र कुमार आदि उपस्थित थे।
हिंदी निबंध प्रतियोगिता, वाक् प्रतियोगिता व हिंदी टिप्पण व प्रारुप लेखन प्रतियोगिताओं के विजेताओं यथा प्रकाश रंजन, रुपेश कुमार, धीरेन्द्र कुमार पाण्डेय, अर्पिता दे, सौरभ त्रिपाठी आदि को प्रशस्ति पत्र व नकद राशि देकर पुरुस्कृत किया गया। प्रकाश रंजन ने अटल जी कविता “बधायें आती है तो आये”, वीरेन्द्र पाण्डेय ने रामधारी सिंह दिनकर जी की कविता “सहनशीलता”, तारकेश्वर शर्मा ने गजल, वेद प्रकाश मिश्र ने नीरज जी की कविता “छिप-छिप कर अश्रु बहाने बहाने वालों” का वाचन किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में राजभाषा विभाग के वेद प्रकाश मिश्र, पासवान व राजभाषा सचिवों में मनीष चंद्र झा, वीरेन्द्र पाण्डेय तथा वी श्रीनिवास, मदन कुमार आदि का योगदान सराहनीय रहा। मुख्य अतिथि बिजय कुमार रथ तथा उप मुख्य राजभाषा अधिकारी अब्दुल हई दोनों कार्यक्रम की सफलता के लिए बधाई दी।
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