मैला ढोने की कुप्रथा से सफाईकर्मियों को मिलेगी निजात, मानवीय हस्तक्षेप के बिना ही रोबोट करेगा सेप्टिक टैंक की सफाई

 

हाथ से मैला ढोने की प्रथा को समाप्त करने के लिये आईआईटी मद्रास का होमोसेप एक ऐसा रोबोट है जिसे संस्थान के शोधकर्ताओं ने विकसित किया है और अब यह जमीनी तैनाती को पूरी तरह से तैयार है।

इसके तहत रोबोट की कुल 10 इकाइयों को तमिलनाडु में तैनात किया जायेगा और इसको लेकर शोधकर्ता स्थानों की पहचान करने के लिये सफाई कर्मियों के साथ सम्पर्क में हैं । इसकी तैनाती को लेकर गुजरात एवं महाराष्ट्र में भी स्थानों पर विचार किया जा रहा है।
आईआईटी मद्रास के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के शिक्षक तथा सेंटर फार ननडिस्ट्रक्टिव इवैलुएशल के प्रो.प्रभु राजागोपाल के नेतृत्व वाली टीम तथा आईआईटी मद्रास के इंक्यूबेटेड स्टार्टअप सोलिनास इंटेग्रिटी प्राइवेट लिमिटेड ने कई वर्षो के प्रयासों के बाद इसे विकसित किया है। यह टीम सफाई कर्मियों तथा भारत में हाथ मैला ढोने की प्रथा को समाप्त करने के लिये समर्पित एनजीओ सफाई कर्मचारी आंदोलन के साथ करीबी सम्पर्क में रही।
वर्तमान में प्रथम दो होमोसेप का वितरण एनजीओ सफाई कर्मचारी आंदोलन के माध्यम से नागम्मा और रूथ मैरी के नेतृत्व वाले स्वयं सहायता समूहों को किया गया है । इन दोनों के पति की मौत सफाई कार्य करते हुए हुई थी।
आईआईटी मद्रास इस अनोखी पहल के माध्यम से स्वयं सहायता समूहों द्वारा स्थापित उद्यमों को सशक्त बना रहा है जिसकी महत्वपूर्ण पक्षकार वो महिलाएं हैं जो हाथ से मैला ढोने के त्रासदपूर्ण दुष्परिणामों से प्रभावित रहीं है। इसके तहत 9 और इकाइयों के वितरण का कार्य परियोजना की कार्य योजना के अनुरूप जारी है और इसमें से कई पर कार्य पूरा हो चुका है।
होमोसेप का विकास करने की प्रेरणा का जिक्र करते हुए आईआईटी मद्रास के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के संकाय और परियोजना के मुख्य शोधकर्ता प्रो प्रभु राजागोपाल ने कहा, सेप्टिक टैंक एक जहरीली माहौल होता है जो अर्द्ध ठोस और अर्द्ध तरल मानव मल पदार्थ से भरा होता है और यह टैंक का करीब दो तिहाई हिस्सा होता है । भारत भर में हर वर्ष सेप्टिक टैंकों की हाथ से सफाई होने के दौरान सैकड़ों मौतों की रिपोर्ट आती हैं हालांकि इसको लेकर प्रतिबंध और निषेध संबंधी आदेश जारी किये गए हैं ।

प्रो प्रभु राजागोपाल ने कहा, “होमोसेफ परियोजना इस मायने में अनोखा है कि यह विश्वविद्यालय (हमारी टीम, एनजीओ उद्योग के सीएसआर और स्टार्टअप को सहित महत्वपूर्ण पक्षकारों को महत्वपूर्ण सामाजिक समस्या का समाधान निकालने के लिये साथ लाने का काम किया है। इसमें कोई शक नहीं है कि समस्या बड़ा और जटिल है और हम उम्मीद करते हैं कि इस प्रयास में हमारा प्रयास दूसरों को इससे जुड़ने के लिये प्रेरणा प्रदान करने का काम करेगा ।“


प्रो राजागोपाल ने कहा, “हम आभारी हैं कि इन वर्षो में दिवांशु और भावेश (आईआईटी मद्रास एमएस एमएस एलुमनस और अब सोलिनास के साथ) सहित काफी संख्या में छात्र इस परियोजना में काम करने के लिये प्रेरित हुए और आज हमारे पास सोलिनास से अभिप्रेरित एक गतिशील टीम है । सोलिनास एक स्टार्टअप है जो जल एवं सफाई के क्षेत्र में काम करता है।“
उन्होंने कहा, “सीएसआर के माध्यम से सतत समर्थन हमारी प्रगति के लिये अब तक महत्वपूर्ण रहा है और यह हमारे काम के दायरे को बढ़ाने में भी सहायक रहा है। हमें इसके व्यापक स्तर पर उत्पादन एवं वितरण के लिये सरकार के सहयोग की उम्मीद है ताकि अगले वर्ष तक देशभर में बड़े स्तर पर इस समधान को पहुंचाया जा सके । “
होमोसेप रोबोट का पहली बार विकास प्रो राजागोपाल के मार्गदर्शन में दिवांशु कुमार द्वारा अंतिम वर्ष स्नातकोत्तर परियोजना के तहत किया गया था और इसे आईआईटी मद्रास की सामाजिक रूप से प्रासंगिक परियोजना के तहत समर्थन मिलने के बाद आईआईटी मद्रास के कार्बन जेर्प चैलेंज 2019 में प्रदर्शित किया गया था । महामारी की कठिनाइयों के बीच आईआईटी मद्रास के शोधकर्ताओं ने आईआईटी मद्रास पोषित स्टार्टअप सोलिनास इंटेग्रिटी प्राइवेट लिमिटेड (अब दिवांशु के नेतृत्व में संचालित के साथ होमोसेप रोबोट विकसित करने के लिये गठजोड़ किया ।
पिछले वर्षो में इस महत्वपूर्ण परियोजना का समर्थन प्रारंभ में कई सीएसआर दानकर्ताओं ने किया जो प्रारंभिक प्रोटोटाइप विकसित करने के लिये वर्ष 2019 में विन फाउंडेशन से शुरू हुआ । वर्ष 2019 – -20 के दौरान गेल (इंडिया ने उत्पाद विकसित करने की पहल का समर्थन किया और इसके बाद कैप जेमिनी ने इसके लघु स्वरूप एवं सुवाह्यता के लिये सीएसआर के तहत सहयोग किया ।
पिछले वर्षो में आईआईटी मद्रास के शोधकर्तााओं ने आईआईटी मद्रास पोषित स्टार्टअप सोलिनास इंटेग्रिटी प्राइवेट लिमिटेड के साथ होमोसेप को और विकसित करने के लिये गठजोड़ किया जिसका नेतृत्व अभी दिवांशु कर रहे हैं ।
होमोसेप रोबोट सेप्टिक टैंक में ठोस मल को विशेष रूप से विकसित रोटेरी ब्लेड तंत्र के जरिये इसे समरूप बनाता है और समन्वित चूसन प्रणाली के जरिये टैंक का गारा बाहर निकालता है । सफाई कर्मी उपयुक्त प्रशिक्षण एवं सुरक्षा उपायों के साथ उचित मार्गदर्शन से खुद से होमोसेप रोबोट का उपयोग कर सकते हैं और जो कार्य अभी हमारी टीम कर रही है। इस पूरी प्रक्रिया में सुरक्षा की महत्वपूर्ण भूमिका है।
स्टार्टअप पार्टनर सोलिनास इंटेग्रिटी के प्रोडक्ट लीड भावेश नारायणी ने कहा प्रयोगशाला के उत्पाद से लेकर वास्तविक सेप्टिक टैंक में रोबोट की तैनाती कठिनाइयों से भरी होती है । हमारी टीम ने सफाई कर्मियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए समाधान का डिजाइन तैयार करने में अथक परिश्रम किया । और हमारे इंजीनियरों, फेब्रिकेटर और तकनीशियनों के समर्पण एवं कठिन परिश्रम के कारण हम इस उपलब्धि को हासिल कर सके ।
उन्होंने कहा, “हमारी टीम होमोसेप के संचालन को लेकर सफाई कर्मियों के साथ अक्सर प्रशिक्षण एवं सुरक्षा सत्र का आयोजन कर रही है । होमोसेप को लेकर उनके
चेहरे पर मुस्कान हमे और काम करने एवं इसके वितरण के लिये प्रेरणा प्रदान करता है । हमारा मानना है कि मिलकर काम करने से हम सेप्टिक टैंक से हाथ से मैला ढोने के चलन को समाप्त कर सकते हैं ।‘
भावेश नारायणी ने कहा, “हमारे संयुक्त दल ने प्रथम साक्ष्य प्रारूप मॉडल तैयार करने से लेकर महत्वपूर्ण नवाचार किया है। हमने ब्लेड के डिजाइन को बेहतर बनाया और बेहतर सुवाह्यता के लिये लघु स्परूप विकसित किया । इसके अलावा हमने अपने उम्पाद को ट्रैक्टर के साथ जोड़ा ताकि हम सुदूर स्थानों तक पहुंच सके।’’
इस अवसर पर आईआईटी मद्रास के आफिस आफ इंस्टीट्यूशनल एडवांशमेंट की कारपोरेट संबंध एलुमनी उपाध्यक्ष नंदिनी दासगुप्ता ने कहा, “मैं होमोसेप विकसित करने के लिये प्रो.प्रभु और सोलिनास की टीम को बधाई देती हूं । यह उन लोगों के सम्मान को बहाल करने का काम करेगा जिन्होंने काफी गरीबी और भेदभाव के कारण अमानवीय एवं खतरनाक महौल में काम किया है।“
उन्होंने कहा, “हम समर्थन देने के लिये अपने दानकर्ताओं को भी धन्यवाद देते हैं । यह परियोजना सीएसआर के सामूहिक प्रयासों की भूमिका का शानदार उदाहरण है।
हमारे दानकर्ताओं से मिले समर्थन के कारण आईआईटीएम माहौल को काफी हद तक प्रभावित कर सका ।“
सफाई कर्मचारी आंदोलन ( एसकेए की राष्ट्रीय टीम का महत्वपूर्ण सदस्य डा दिप्ती सुकुमार ने कहा, “एसकेए हाथ से मैला ढोने के चलन के खिलाफ एक आंदोलन है और इसने सभी तरह की सफाई के कार्य में मशीनों के उपयोग के लिये अभियान चलाया है । यह इतिहास बनने की दिशा में कदम है जब नागम्मा एक यांत्रिकी सेप्टिक टैंक सफाई सेवा की मालिक एवं उद्यमी बनती हैं जो एक ऐसे व्यक्ति की विधवा हैं जिनकी मौत सेप्टिक टैंक में हुई थी ।“
उन्होंने कहा, “नागम्मा ने एसकेए के समर्थन से सफाई कर्मचारी उद्यम को आगे बढ़ा रही हैं जिसके सदस्य सेप्टिक टैंक साफ करने वाले पूर्व सफाई कर्मी और उन लोगों के परिवारों के सदस्य हैं जिनकी मौत हाथ से मैला ढोते हुए हुई थी । यह उद्यम सफाई कर्मचारी समुदायों के जीवन में बदलाव पर केंद्रित होगा जो यांत्रिकी सफाई समाधान प्रदान करके सम्मानपूर्ण आजीविका प्रदान करके हाथ से मैला ढोने के कारण होने वाली मौतों को रोकने पर लक्षित होगा और इसमें तकनीकी विशेषज्ञता एवं समर्थन के लिये आईआईटी मद्रास को शामिल करेगा ।’’


एनएसई फाउंडेशन की मुख्य कार्यकारी अधिकारी रीना मोहन ने कहा, “आजादी के 75 वर्ष गुजरने के बाद भी हाथ से मैला ढोने का चलन जारी है और इसके कारण कई समुदायों का जीवन बर्बाद हो रहा है। एनएसई में हम इस त्रासदपूर्ण समस्या का समाधान निकालने को उत्सुक हैं । हम आईआईटी मद्रास में हमें प्रो. प्रभु राजागोपाल की टीम का समर्थन कर प्रसन्नता हो रही है क्योंकि उन्होंने समाधान निकालने के लिये कई वर्षो तक विकास कार्य किया और सही पक्षकारों के साथ गठजोड़ किया।’’
उन्होंने कहा, “हमें यह जानकार खुशी हो रही है कि प्रो. प्रभु राजागोपाल की टीम एनएसई फाउंडेशन के सहयोग से होमोसेप रोबोट का वितरण कर रही है। हमें उम्मीद है कि इसका जमीनी स्तर पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा और हम इस टीम के साथ समग्र ढांचागत समाधान निकालने के लिये और इसका दायरा बढ़ाने के लिये मिलकर काम करने को आशान्वित हैं।“
केपजेमिनी के सीएसआर लीडर कुमार अनुराग प्रताप ने कहा, “आईआईटी मद्रास के साथ पार्टनर और होमोसेप रोबोट के विकास के लिये उत्प्रेरक बनकर केपजेमिनी आनंदित है।“
होमोसेप एक ऐसा उपकरण है जिसका डिजाइन सेप्टिक टैंक में मल की सफाई करने के लिए तैयार किया गया है जिससे हाथ से मैला ढोने के चलन को समाप्त किया जा सकता है।
उन्होंने कहा, “केपजेमिनी टीम यह जानकर प्रसन्न है कि आईआईटी मद्रास में प्रो. प्रभु की टीम ने होमोसेप रोबोट के वितरण का कार्य भी प्रारंभ कर दिया है । हम इस समाधान के परीक्षण के लिये सफाई कर्मचारी समुदाय को शुभकामनाएं देते हैं । हम भविष्य में प्रो.प्रभु की टीम के साथ गठजोड़ करने को आशान्वित हैं ताकि उनके समाधान के प्रभाव को और कारगर बनाया जा सके ।”

IIT Madras’ Robot to clean Septic Tanks without human intervention set for Field Deployment
Ten Units to be deployed across Tamil Nadu with Sanitation Workers to be the operators who will be handling and operating the entire robot after training and appropriate guidance

CHENNAI, 9th June 2022: Indian Institute of Technology Madras’ ‘HomoSEP,’ a Robot developed by the Institute’s Researchers to eliminate manual scavenging in India, is all set for field deployment.
A total of ten units are planned to be deployed across Tamil Nadu with the Researchers already in touch with Sanitation Workers to identify locations. Locations in Gujarat and Maharashtra are also being considered.
This robot has been developed over the last several years by a team led by Prof. Prabhu Rajagopal, Center for Nondestructive Evaluation, IIT Madras, and Faculty, Department of Mechanical Engineering, IIT Madras together with IIT Madras-incubated start-up Solinas Integrity Private Limited. The team has been in close touch with Sanitation Workers, and supported by the NGO, Safai Karamchari Andolan (SKA) dedicated to elimination of manual scavenging in India.
At present, first two HomoSEP units have been distributed to self-help groups led by Ms. Nagamma and Ms. Ruth Mary whose husbands died tragically during sanitation work, through the support of the NGO, SKA.
In the unique model being pioneered, IIT Madras is empowering enterprises established by such self-help groups, whose key stakeholders will be women impacted by the tragic consequences of manual scavenging. The task of further distribution of 9 more units, several of which have already been fabricated as per the project plans, is ongoing.
Highlighting his motivations behind developing HomoSEP, Prof. Prabhu Rajagopal, Principal Investigator of the Project and Faculty, Department of Mechanical Engineering, IIT Madras, said, “The Septic Tank is a poisonous environment, filled with semi-solid and semi-fluid human faecal material that make up about two-thirds of the tank.  Hundreds of deaths are reported every year across India, due to manual scavenging in Septic Tanks despite bans and prohibitory orders.”


Prof. Prabhu Rajagopal added, “The HomoSEP project is unique for the way it has brought together the key stakeholders, including university (our team), NGO, Industry CSR and start-up to develop a solution to an urgent and pressing social problem. No doubt the problem is large and complex, and we hope that our effort serves as an inspiration for others to join in the push.”
Further, Prof. Prabhu Rajagopal added, “We are grateful that over the years a number of students including Divanshu and Bhavesh Narayani (IIT Madras MS alumnus now also with Solinas) have been inspired to work on this project, and today we have a dynamic team, reinforced by Solinas which is a start-up focussed on water and sanitation.Continued support from CSR channels has been vital to our progress so far, and is key to scaling our work going forward. We also hope to leverage support from Government channels to mass-produce and distribute our solution on a much larger scale throughout the country from the next year.”
HomoSEP was first developed as a final year Masters’ project by Mr. Divanshu Kumar under the guidance of Prof. Rajagopal and showcased at the IIT Madras Carbon Zerp Challenge 2019, after receiving seed support from IIT Madras’ Socially Relevant Projects initiative. Despite the pandemic-related difficulties over the next couple of years, the IIT Madras researchers collaborated with an IIT Madras-incubated start-up Solinas Integrity Private Limited (now headed by Mr. Divanshu) to further develop HomoSEP.
This path-breaking project was supported first by several CSR donors over the years, starting with WIN Foundation in 2019 for initial prototype development. Between 2019-20, GAIL (India) supported further product development and CapGemini supported efforts towards miniaturization and portability of the robot, through their CSR initiatives. Over the last year, NSE Foundation and L&T Technology Services Foundation have commissioned the fabrication and distribution of 8 and 2 numbers of HomoSEP robots respectively, again through CSR support.
The HomoSEP Robot can homogenize the hard sludge in septic tanks through custom-developed rotary blade mechanism and pump the tank slurry using an integrated suction mechanism. Sanitation Workers will be able to operate the HomoSEP on their own, after being provided with the relevant training and appropriate guidance along with necessary safety measures, both of which our team is working on right now. Safety plays a vital role in this whole procedure, starting with the design of HomoSEP itself.
Mr. Bhavesh Narayani, Product Lead, Solinas Integrity, the Startup partner, added “The path from a Laboratory product to deploying a robot in a real Septic Tank field is fraught with difficulties. Our team spent many sleepless nights, designing a solution keeping in mind, the safety of the Safai Karamcharis (Sanitation Workers. Because of the dedication and hard work of our committed and motivated team of engineers, fabricators, and technicians, we are able to reach this milestone. Our team is conducting frequent training and safety sessions with the Safai Karamcharis on functionalities and operation of the HomoSEP robot. The joy on their faces today as a result of the HomoSEP is the most motivating factor for us to work more and distribute more. We believe that working together, we can eliminate manual scavenging from Septic Tanks.”
Mr. Bhavesh Narayani added, “Our joint team has made some significant innovations to the first proof-of-concept model. We improved the blade design through extensive simulation and mock-up trials and achieved a miniaturization for better portability. Moreover we integrated our product with a tractor so that it can reach remote locations.”
On this occasion, Ms. Nandini Dasgupta, Vice President, Alumni and Corporate Relations,  Office of Institutional Advancement, IIT Madras said “I wish to congratulate Prof Prabhu and the team at Solinas for developing the HomoSEP. It restores dignity to the people who have worked in one of the most dehumanized and fatal environments due to extreme poverty and discrimination. We also wish to thank our donors for their support. This project is an excellent example of the role of collective action in CSR. The support received from our donors enabled IITM to impact the environment in a much larger way.”
Dr Deepthi Sukumar, National core team member of Safai Karamchari Andolan (SKA) added “SKA, a movement against manual scavenging, has been campaigning for the mechanization of all sewerage work. This is history in the making when Ms. Nagamma, a widow of a person who died in a septic tank becomes the owner and an entrepreneur of mechanised septic tank cleaning services. Nagamma with the support of SKA is initiating the ‘Safai Karmachari Enterprises’ comprising of members who are former septic tank cleaners and family members of persons who were killed in manual scavenging. This enterprise will focus on changing lives of Safai Karmachari communities with dignified livelihoods providing mechanised sanitation solutions to stop manual scavenging deaths and will engage with IIT Madras for their technical expertise and support.”
Ms. Rema Mohan, Chief Executive Officer, NSE Foundation said “Manual scavenging is a practice even after 75 years of independence, which devastates  the lives of many communities.  We at the NSE Foundation have been passionate about finding solutions to this tragic problem. We were happy to support Prof. Prabhu Rajagopal’s team at IIT Madras as they had carried out years of development and also had the right partnerships with the stakeholders.  We are pleased to learn that Prof Prabhu Rajagaopal’s team has started distributing the HomoSEP robots with NSE Foundation support. We do hope this makes a positive impact on the ground and we look forward to working together with the team in widening the scale and reach of this solution in a holistic framework.”
Mr. Kumar Anurag Pratap, CSR Leader, Capgemini added, “Capgemini is delighted to have partnered with IIT-M and acted as a catalyst for the development of the HomoSEP robot—a device created to eliminate sludge in septic tanks and thereby eradicate the practice of human scavenging. Capgemini’s CSR team is pleased to note that Prof. Prabhu’s team at IIT Madras has started the process of distribution of the HomoSEP robots. Our best wishes to the Safai Karamchari community to trial this solution. We look forward to partnering with Prof Prabhu’s team again in the future in strengthening the impact of their solution

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