मैं रेलगाड़ी हूं …!!
तारकेश कुमार ओझा
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बीमार हो या बेरोजगार , सब को मंजिल तक पहुंचाती हूं ,
मगर पत्थर – आग भी सबसे पहले पाती हूं ,
मैं रेलगाड़ी हूं , सब कुछ सह जाती हूं
आक्रोश – आंदोलन का पहला शिकार मुझे ही बनना है ,
नियति इसे मान लिया
सब मेरे हैं , पर कोई नहीं मेरा
इस सच्चाई को जान लिया .
रोती हूं , कलपती हूं , पर कुछ कह नहीं पाती हूं ,
मैं रेलगाड़ी हूं , सब कुछ सह जाती हूं …!!
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