खड़गपुर। केंद्र सरकार तमिलनाडु व उत्तर प्रदेश की तरह पश्चिम बंगाल में भी डिफेंस कॉरिडोर बनाने को लेकर विचार कर रही है। ज्ञात हो कि दुनिया में हथियारों के निर्यात करने वाले देशों में भारत का स्थान दूसरे नंबर पर है। इसलिए केंद्र सरकार इस रैंकिंग को सुधारना चाह रही है ताकी हथियारों के मामले में भारत आत्मनिर्भर बन सके और साथ ही बंगाल में लघु व मध्यम उद्योग का भी विकास हो सके। इसी मकसद से यह कदम उठाने पर विचार किया जा रहा है। मौजूदा समय में उत्तर प्रदेश के लखनऊ, आगरा, अलीगढ़, चित्रकूट, झांसी व कानपुर में संयुक्त रुप से डिफेंस कारिडोर तैयार किया गया है वहीं तमिलनाडु के चेन्नई, सलेम, कोयंबटूर व तिरुचिरापल्ली में भी नए डिफेंस कारिडोर बनाने का काम जारी है।
भारत चेंबर आफ कामर्स एंड डिफेंस सब कमेटी के चेयरमैन राजीव चक्रवर्ती ने बुधवार को इंडियन डिफेंस इंडस्ट्री: चेंजिंग द एमएसएमई लैंडस्केप विषय पर आयोजित एक दिवसीय सेमिनार को संबोधित करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु के डिफेंस कारिडोर ने करोड़ों का व्यापार किया है। इसी तर्ज पर बंगाल पीछे क्यूं रहेगा। उन्होंने कहा कि बंगाल में डिफेंस कारिडोर के निर्माण से यहां उद्योगों का पुनर्जन्म होगा और यक केंद्र व राज्य के संयुक्त प्रयास से ही मुमकिन हो पाएगा। इस मामले में राज्य के क्षुद्र व मध्यम उद्योग कार्यालय के मंत्री श्रीकांत महतो ने कहा कि बंगाल में डिफेंस कारिडोर के निर्माण से यहां रोजगार के अवसर तो पैदा होंगे ही साथ में देश भी धीरे-धीरे हथियारों के मामले में आत्मनिर्भर बनता जाएगा। इसके अलावा उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री से बातचीत करने के बाद ही इस ओर कदम बढ़ाया जाएगा। राज्य सरकार इसके लिए जितना हो सके वह सहयोग करेगी बस केंद्र को जिम्मेदारी लेनी होगी।
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