खड़गपुर। देश के सुप्रसिद्ध कवि एवं चर्चित व्यंग्यकार श्री अशोक चक्रधर ने कहा कि व्यंग्य बहुत प्रभावशाली विधा है। यह विधा अन्य विधाओं में भी संक्रमण करती है। करुणा व्यंग्य की आत्मा है। उन्होंने आजादी के बाद से व्यंग्य के विकास को रेखांकित करते हुए इसके विविध पक्षों पर विस्तार से चर्चा की।
चक्रधर जी ने दिल्ली स्थित अपने घर से 21 वीं सदी के 131 श्रेष्ठ व्यंग्यकारों की व्यंग्य-रचनाओं के वृहद संग्रह का वर्चुअल लोकार्पण करने के बाद अपने उपर्युक्त विचार व्यक्त किए। कोरोना महामारी के कारण जूम एप के माध्यम से देश-विदेश के अनेक लोग इस कार्यक्रम से जुड़े। अशोक चक्रधर जी ने सभी 131 व्यंग्यकारों को बधाई दी।
प्रलेक प्रकाशन समूह ,मुबंई की ओर से यह महत्वपूर्ण प्रकाशन किया गया है। इस वृहद संकलन में पश्चिम बंगाल से सिर्फ व्यंग्यकार डा. पंकज साहा, एसोसिएट प्रोफेसर, हिंदी-विभाग, खड़गपुर कॉलेज, खड़गपुर को शामिल किया गया है।
देश-विदेश के सक्रिय और श्रेष्ठ व्यंग्यकारों के इस संग्रह का संपादन देश के सुपरिचित व्यंग्यकार डा. लालित्य ललित तथा व्यंग्य-आलोचक डा. राजेश कुमार ने किया है। संग्रह का लोकार्पण 2 अक्टूबर को गांधी-जयंती के शुभअवसर पर दिल्ली में किया गया।
समारोह में व्यंग्य-संग्रह के संपादक प्रसिद्ध व्यंग्यकार एवं समालोचक प्रो. राजेश कुमार ने कहा कि इस संग्रह के लोकार्पण के लिए गांधी-जयंती से बेहतर कोई दूसरा अवसर हो ही नहीं सकता था।
संग्रह के दूसरे संपादक सुप्रसिद्ध कवि, व्यंग्यकार डा. लालित्य ललित ने कहा कि उन्हें व्यंग्य-विधा में अपार संभावनाएँँ दिखाई देती हैं।
प्रलेक प्रकाशन समूह के निदेशक जितेंद्र पात्रो ने बताया कि पूर्व में यह योजना 101 व्यंग्यकारों को शामिल करने की थी, जिसे 131 कर दिया गया।
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