खड़गपुर। गौतम चौबे हत्याकांड में जमानत पर रिहा मोनू
सिंह की टीएमसी में स्वीकृति चर्चा का विषय़ बन गया है जबकि पार्टी अध्यक्ष ने मोनू की एंट्री को टीम पीके की सिफारिश बता पल्ला झाड़ लिया है इधर टीएमसी के कई नेता कार्यकर्ता मोनू की स्वीकृति को पचा नहीं पा रहे हैं। ज्ञात हो कि रविवार की शाम खड़गपुर सदर विधायक प्रदीप सरकार कार्यालय में कुल 44 टीएमसी कार्यकर्ताओं को स्वीकृति दे सम्मानित किया गया। जिसमें गौतम चौबे हत्याकांड मे जमानत पर रिहा मोनू सिंह का नाम भी शामिल है। 11 सितंबर 2001 को गौतम चौबे की मलिंचा इलाके में बदमाशों ने गोली मार कर हत्या कर दी थी आरोप है कि मोनू सिंह भी उस साजिश में शामिल था। मोनू सिंह फिलहाल सुप्रीम कोर्ट की जमानत पर रिहा है। हत्याकांड के समय गौतम चौबे टीएमसी का युवा नेता था जिसके कारण उस वक्त टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी खड़गपुर आई थी व गौतम चौबे के हत्याकांड में शामिल लोगों को सजा दिलाने की बात कही थी मोनू सिंह सहित अन्य आऱोपी के खिलाफ गौतम चौबे के सहयोगी रहे पार्षद देबाशीष चौधरी ने मोर्चा भी खोल दिया था लेकिन अब मोनू सिंह को सम्मान को लेकर देबाशीष भी क्षुब्ध है हांलाकि उसका कहना है कि मामले पर विधायक व पार्टी अध्यक्ष ही राय रखेंगे। गौतम समर्थकों का मानना है कि हत्याकांड के मुख्य आरोपी बी रामबाबू को ही जब प्रश्रय मिल रहा है तो फिर और क्या। ज्ञात हो कि फिलहाल रामबाबू श्रीनू नायडू हत्याकांड में जेल में है।
इधर टीएमसी के खड़गपुर शहराध्यक्ष रबि शंकर पांडे का कहना है कि जिन 44 लोगों को सम्मानित किया गया उसकी सूची टीम पीके की है इसमें उसका कोई हाथ नहीं है। ज्ञात हो कि 44 लोगों की सूची में कौशिक भी शामिल था हांलाकि कौशिक गौतम मामले में बाइज्जत बरी हुए थे। मोनू सिंह का दावा बतौर पार्टी प्रत्याशी भी है अब देखना है कि टीएमसी आगे क्या रुख अपनाती है। विधायक प्रदीप सरकार का कहना है कि कुछ लोग स्वीकृति कार्यक्रम में नहीं आ सके ऐसे कार्यकर्ताओं को भी सम्मानित किया जाएगा। राजनीतिक प्रेक्षकों का मानना है कि मोनू सिंह की स्वीकृति पार्टी में देबाशीष चौधरी व विधायक प्रदीप सरकार के बीच की खाई को और चौड़ा कर सकती है।
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