— जरा हट के !!
तारकेश कुमार ओझा , खड़गपुर : खड़गपुर में भला कौन होगा जो कहे कि वो ” बड़ा – बत्ती ” देख कर इस शहर में आया है । कहावत है खड़गपुर का लड़का सबसे सियाना । जो न तो किसी से दबता है और न धौंसता है । यहां का लौंडा सिर्फ ” मंदिर तालाब ” से डरता है ।
जो खड़गपुरियंस को बनाने की कोशिश करता है , वो खुद बन जाता है । यहां का पानी पीने वाला सही – गलत को ऐसे छान लेता है , जैसे चाय वाला चायपत्ती को ।
चुनाव के समय मंदिर तालाब या बड़ा बत्ती की बात अटपटी लग सकती है । लेकिन ऐसा इसलिए क्योंकि इलेक्शन के चलते खड़गपुरियों को बनाने की भरपूर कोशिश हो रही है । बेटा , भतीजा , सेवक , दामाद तरह – तरह का रुप धर कर दावेदार लोगों के बीच जा रहे हैं । बड़े – बड़े पदों को सुशोभित करने वाले दिग्गज राजनेता से लेकर सेलिब्रिटी तक वोट की लालसा में खड़गपुर के गलियों की खाक छान रहे हैं । कुछ आकर चले गए ,
कुछ वेटिंग लिस्ट पर हैं । वोटरों को घंटा कोई टेंशन नहीं लेकिन कुछ लोग बेवजह परेशान हो रहे हैं कि कहीं ऐसी गलती न हो जाए कि पांच साल पछताना पड़े । लेकिन शहर के टेंशन में दुबले हो रहे हर किसी से यही कहना है कि खड़गपुर वाले ऐसी हर सिचुएशंस को टैकल करना अच्छे तरीके से जानते हैं । यहां कोई बड़ा बत्ती देख कर नहीं आया । जिसने भी यहां खुद को तोपचंद समझा , उसे भोग में जाने से कोई नहीं रोक सका ।
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