जैसे गांव का गबरू गब्बर बन गया था . वैसे ही कोरोना काल में कल का बुखार फीवर बन आतंक का पर्याय बन गया . इससे दुनिया में मची उथल – पुथल पर पेश है खांटी खड़गपुरिया तारकेश कुमार ओझा की चंद लाइनें ….
जब बुखार बन गया फीवर ….!!
तारकेश कुमार ओझा
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एक था गबरू
बन गया गब्बर
देश – दुनिया में खूब
मचाया अंधेर
नए जमाने में उसी के रीमेक
की तरह बुखार बन गया फीवर
जिसके नाम से अब दुनिया कांपे थर – थर
नाम सुनते ही क्या राजू क्या राजा
पसीने से हो रहे तर – बतर
बुखार वाले को देखते ही क्या छोटे क्या बड़े
अच्छे – अच्छे डॉक्टर भी कर रहे
हाथ खड़े
दौडों – भागो टेस्ट कराओ
नहीं तो कहीं जाकर मर जाओ .
ट्रेन बंद , प्लेन बंद
बंद मेला – ठेला
सिर्फ़ दवा दुकानों के सामने
दिखता है इंसानों का रेला .
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