कोरोना काल में देश की वर्तमान परिस्थितियों पर पेश है खांटी खड़गपुरिया की चंद लाइनें ….सड़कें हैं , सवार नहीं…
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Read Moreआज से ठीक दो साल पहले 19 जुलाई 2018 को कवि-गीतकार गोपालदास नीरज ने हम सबसे विदा लेकर महाप्रस्थान किया…
Read Moreसुरक्षा ही उपाय है।सुरक्षा ही बचाव है।विचलित जरा न होना।द्वार खड़ा है दुष्ट कोरोना। दूरी मे ही भलाई है। इसकी…
Read Moreप्रवासी मजदूरों की त्रासदी पर पेश है खांटी खड़गपुरिया की चंद लाइनें ….मजदूर की मंजिल ….!!तारकेश कुमार ओझा—————————-पत्थर तोड़ कर…
Read Moreपूँजीवाद और समाज के बदलते परिदृश्य =====================साम्प्रदायिकता की ऊपज में पूँजीवाद की अहम भूमिका है।यह नाजायज पूँजी देश को ,समाज…
Read Moreज़िंदगी के लिए….जो हैअनुभूति की परिधि से परेले ले कब अपने घेरे मेंऔर लील जाए मुकम्मल ज़िन्दगीक्या पता ?क्या पता…
Read Moreमुझको रचने में यकीनन आप-सा कोई नहींकैसे कहता नफरतों का फायदा कोई नहीं। देख लेना शाम को श्रमदान करने के…
Read Moreबंबई के मुंबई बनने तक बहुत कुछ बदला … तारकेश कुमार ओझा बंबई के मुंबई बनने के रास्ते शायद इतने…
Read Moreअसर – पंकज साहा हमारे मोहल्ले में होलिका दहन की रात होली जलायी जाती है। मेरा एक शिक्षक मित्र होली…
Read Moreयह शीर्षक ही अपने आप में विवादास्पद है।लेकिन और कोई उपाय भी नहीं नज़र आ रहा।कारण जिस जातिवाद को मिटाने…
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