Home cultural विवाहित महिलाओं के लिए संजीवनी बना ‘सहचरी’, नृत्य के माध्यम से खुद को व्यक्त करना चाहती है महिलाएं

विवाहित महिलाओं के लिए संजीवनी बना ‘सहचरी’, नृत्य के माध्यम से खुद को व्यक्त करना चाहती है महिलाएं

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विवाहित महिलाओं के लिए संजीवनी बना ‘सहचरी’, नृत्य के माध्यम से खुद को व्यक्त करना चाहती है महिलाएं

 

खड़गपुर, विवाहित महिलाओं के लिए संजीवनी सिद्ध हो रही है नृत्य संस्था ‘सहचरी’। सहचरी सुभाषपल्ली की विवाहित महिलाओं की संस्था है जिसमें नृत्य के माध्यम से खुद को व्यक्त कर रही है महिलाएं।

 

सहयोगी से जुड़ी महिलाओं का कहना है कि सुभाषपल्ली के सुभाष संघ क्लब को स्थानीय महिलाएं ही चलाती है व वे लोग दुर्गापूजा का आयोजन करते हैं।

 

जिसके बाद महिलाओं ने अपनी नृत्य रुचि की पूर्ति के लिए स्थानीय सुष्मिता कुंडु की मदद ली जो कि सहयोगी की डांस टीचर है सहयोगी से जुड़ने वाली ज्यादातर महिलाएं अधेड़ वय की है। सुष्मिता अपनी चचेरी सास को दीपान्विता कुंडु को भी सिखाती है। दीपान्विता का कहना है कि वे लोग अब नियमित प्रैक्टिस करते हैं।

 

 

श्रावणी पाल चौधरी उमा व चैताली पाल का भी मानना है कि अब नियमित प्रैक्टिस करना उनलोगों का दिनचर्या बन गया है अगर कोई महिला नृत्य सिखना चाहे तो सहयोगी में शामिल हो सकती है।

 

छह माह की प्रैक्टिस के बाद अब सहचरी की सदस्या सार्वजनिक कार्यक्रमों में डांस परफार्म करने लगी है रथ महोत्सव में भी जगन्नाथ मंदिर व सुभाषपल्ली रथ महोत्सव में परफार्म कर चुकी है।महिलाओं का कहना है कि उनलोगों को अपने परिवार से भी सहयोग मिल रहा है।

 

“সহচরী”‘ বিবাহিত মহিলাদের জন্য লাইফলাইন হয়ে ওঠে, মহিলারা নাচের মাধ্যমে নিজেকে প্রকাশ করছে

খড়্গপুর, নৃত্য সংস্থা ‘সহযোগী’ বিবাহিত মহিলাদের জন্য লাইফলাইন প্রমাণিত হচ্ছে। “সহচরী” হল সুভাষপল্লীর বিবাহিত মহিলাদের একটি সংগঠন যেখানে মহিলারা নাচের মাধ্যমে নিজেদের প্রকাশ express করছেন। সহযোগীর সঙ্গে যুক্ত নারীরা জানান, সুভাষপল্লীর সুভাষ সংঘ ক্লাব স্থানীয় নারীদের দ্বারা পরিচালিত এবং তারাই দুর্গাপূজার আয়োজন করে।

 

 

এরপরে, তাদের নাচের আগ্রহ পূরণের জন্য, মহিলারা স্থানীয় সুস্মিতা কুন্ডুর সাহায্য নেন, যিনি  নৃত্যশিক্ষক।

“সহচরী” বেশিরভাগ মহিলাই মধ্যবয়সী। সুস্মিতা তার চাচাতো ভাই শাশুড়ি দীপান্বিতা কুন্ডুকেও পড়ান। দীপান্বিতা জানান, তারা এখন নিয়মিত অনুশীলন করেন।

 

 

 

শ্রাবণী পাল, চৌধুরী, উমা এবং চৈতালি পালও বিশ্বাস করেন যে এখন নিয়মিত অনুশীলন তাদের জন্য একটি রুটিন হয়ে দাঁড়িয়েছে যদি কোনও মহিলা নাচ শিখতে চান তবে তিনি এই সংস্থায় যোগ দিতে পারেন।

 

 

ছয় মাস অনুশীলনের পর, এখন “সহচরী”র সদস্যরা প্রকাশ্যে নৃত্য পরিবেশন শুরু করেছেন এবং রথ মহোৎসব, জগন্নাথ মন্দির ও সুভাষপল্লী রথ মহোৎসবেও নৃত্য পরিবেশন করেছেন বলে জানিয়েছেন তারা তাদের পরিবারের কাছ থেকেও সহযোগিতা পাচ্ছেন।

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