अक्षय संसाधनों से विकसित बायोडिग्रेडेबल नैनोपार्टिकल्स हाइड्रोफिलिक और हाइड्रोफोबिक दोनों दवाएं रिलीज करने में सक्षम हैं जिनमें विभिन्न कैंसर रोधी तंत्र होते हैं जो पेट्रोलियम-आधारित पॉलीमर पर निर्भरता कम करेंगे
मंडी, अगस्त 2022: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मंडी के शोधकर्ताओं ने कोलोरेक्टल कैंसर के इलाज के लिए प्राकृतिक पॉलीमर आधारित स्मार्ट नैनोपार्टिकल्स का उपयोग किया है। ये नैनोपार्टिकल्स केवल कैंसर ग्रस्त हिस्से में होने वाली उत्तेजनाओं के प्रतिकार में दवा रिलीज करते हैं।
शोध के निष्कर्ष कार्बाेहाइड्रेट पॉलीमर नामक जर्नल में प्रकाशित किए गए हैं। शोध प्रमुख डॉ. गरिमा अग्रवाल, सहायक प्रोफेसर, स्कूल ऑफ बेसिक साइंसेज ने अपने विद्यार्थी आईआईटी मंडी के डॉ. अंकुर सूद और सुश्री आस्था गुप्ता के साथ यह अध्ययन किया है और अपनी टीम के साथ प्रो. नील सिल्वरमैन, मैसाचुसेट्स मेडिकल स्कूल, वॉर्सेस्टर, एमए, संयुक्त राज्य अमेरिका इसके सह-लेखक हैं। शोध का वित्तीयन आईआईटी मंडी के साथ विज्ञान एवं इंजीनियरिंग अनुसंधान बोर्ड, भारत सरकार ने किया।
कोलोरेक्टल कैंसर एक जानलेवा बीमारी है जिसके चलते पूरी दुनिया में मृत्यु दर बढ़ी है और यह पूरी दुनिया की स्वास्थ्य सेवा व्यवस्था पर भारी आर्थिक बोझ है। यह पुरुषों में तीसरा सबसे आम कैंसर है और पूरी दुनिया में महिलाओं को होने वाला दूसरा सबसे आम कैंसर है। सभी कैंसरों से मृत्यु के मामलों में 8 प्रतिशत के लिए कोलोरेक्टल कैंसर जिम्मेदार है। इस तरह यह दुनिया में कैंसर से मृत्यु का चौथा सबसे आम कारण बन गया है।
शोध के बारे में डॉ गरिमा अग्रवाल ने बताया, ‘‘मटीरियल साइंस और स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र से जुड़े विभिन्न विषयों के परस्पर संबंध पर कार्यरत लोगों में अक्षय संसाधनों से बायोडिग्रेडेबल नैनोपार्टिकल्स के विकास को लेकर दिलचस्पी बहुत बढ़ गई है और ये नैनोपार्टिकल्स इस तरह डिजाइन किए गए हैं कि कैंसर ग्रस्त हिस्से में होने वाली उत्तेजनाओं के प्रतिकार में दवा रिलीज करें।’’
इस सिलसिले में डॉ. अग्रवाल ने बताया, ‘‘डिज़ाइन किया गया सिस्टम पानी में अलग-अलग घुलनशील दवाओं का सपोर्ट करने में सक्षम होना चाहिए। इसके लिए हम ने बायोडिग्रेडेबल नैनोपार्टिकल विकसित करने का सबसे सरल दृष्टिकोण अपनाते हुए चिटोसन का उपयोग किया जो कि डाइसल्फ़ाइड रसायन के कम्बिनेशन में प्राकृतिक रूप से प्राप्त पॉलीमर है।”
आईआईटी मंडी के शोधकर्ताओं ने रेडॉक्स रिस्पॉन्सिव चिटोसन / स्टीयरिक एसिड नैनोपार्टिकल्स ( सीएसएसए एनपी) का विकास किया है जो कोलेरेक्टल कैंसर को लक्ष्य बनाने वाली दवाओं करक्यूमिन (हाइड्रोफोबिक; दैनिक खाने में उपयोगी हल्दी का एक घटक) और डॉक्सोरूबिसिन (हाइड्रोफिलिक) दोनों के लिए बतौर दवा वाहक काम करेंगे। कैंसर रोधी दवाओं के साथ कैंसर रोधी प्रक्रिया के इस तालमेल से कैंसर के इलाज का अधिक कारगर रास्ता मिलेगा।
आईआईटी मंडी की शोध विद्वान सुश्री आस्था गुप्ता ने इस शोध की विशिष्टता बताते हुए कहा, “हम ने थायोलेटेड चिटोसन और थियोलेटेड स्टीयरिक एसिड के हवा में ऑक्सीकरण के माध्यम से डाइसल्फ़ाइड (-एस-एस−) क्रॉसलिंकिंग रसायन पर आधारित नैनोपार्टिकल्स का संश्लेषन किया है। इस तरह किसी बाहरी क्रॉसलिंकिंग एजेंट के उपयोग से बचा जा सकता है। हम ने स्थिर और समान नैनोपार्टिकल प्राप्त करने के लक्ष्य से सबसे उपयुक्त कम्बिनेशन के चयन हेतु थिओलेटेड पॉलीमर के पांच अलग-अलग कम्बिनेशंस को प्रयोग कर देखा है। डाइसल्फ़ाइड बांड मौजूद होने से इन स्मार्ट नैनोपार्टिकल्स का अपघटन ट्यूमर ग्रस्त हिस्से में होता है क्योंकि वहां कैंसर कोशिकाओं में ग्लूटाथियोन की मात्रा अधिक होती है।’’
आईआईटी मंडी के शोधकर्ताओं ने अक्षय संसाधनों से बायोडिग्रेडेबल नैनोपार्टिकल्स विकसित किए हैं। इसके परिणामस्वरूप पेट्रोलियम आधारित पॉलीमर पर निर्भरता कम होगी। ये स्मार्ट नैनोपार्टिकल्स फिजियोलॉजिकल स्थितियों में स्थिर होते हैं और कैंसर कोशिकाओं की रेडॉक्स उत्तेजना की मौजूदगी में ट्यूमर साइट पर अपघटित होते हैं। इन नैनोपार्टिकल्स का उपयोग हाइड्रोफिलिक और हाइड्रोफोबिक दोनों दवाओं को सफलतापूर्वक लोड और रिलीज करने में किया जा सकता है जिनमें एक अलग कैंसर रोधी तंत्र होता है जो उपचार को अधिक कारगर बनाने में मदद कर सकता है।
शोधकर्ताओं ने डिज़ाइन किए गए सिस्टम की कैंसर कोशिका मारक क्षमता का परीक्षण ‘इन विट्रो’ शोध के माध्यम से किया और ब57इसध्6र चूहों पर ‘इन विवो’ बायोडिस्ट्रिब्यूशन के प्रयोगों से यह भी परीक्षण किया कि यह सिस्टम कोलोन को लक्ष्य बनाने में कितना सक्षम है।
इसके बाद शोध टीम की योजना कोलोरेक्टल कैंसर के उपचार के लिए विकसित सिस्टम की क्षमता की गहरी सूझबूझ प्राप्त करने के लिए उसके जैविक अध्ययन करने की है।
IIT Mandi researchers use natural polymer based smart nanoparticles to treat colorectal cancer
Researchers have developed biodegradable nanoparticles from renewable resources which can release both hydrophilic and hydrophobic drugs having different anticancer mechanisms, thus reducing the dependency on petroleum-based polymers.
Video link: https://drive.google.com/drive/folders/1EDxBO894s9I4ImSxf0oYjehi0G7NiAC?usp=sharing
Mandi, 30th August 2022: Researchers at the Indian Institute of Technology Mandi have used natural polymer based smart nanoparticles to treat colorectal cancer. These nanoparticles release the drug in response to stimuli that are specific to cancer site only.
The findings of the research have been published in the Journal Carbohydrate Polymers. The research has been led by Dr. Garima Agrawal, Assistant Professor, School of Basic Sciences, and co-authored by her students Dr. Ankur Sood and Ms. Aastha Gupta from IIT Mandi and Prof. Neal Silverman along with his team from the University of Massachusetts Medical School, Worcester, MA, United States of America. The research was funded by the Science and Engineering Research Board, Government of India along with IIT Mandi.
Colorectal cancer is a devastating disease leading to increased mortality worldwide and it also causes a heavy financial burden on the healthcare system globally. It is the third most common cancer in men and the second most common in women worldwide. It accounts for 8% of all cancer deaths making it the fourth most common cause of death due to cancer in the world.
Explaining the research, Dr. Garima Agrawal, said, “One of the driving interests among the material science and healthcare community performing interdisciplinary work is the development of biodegradable nanoparticles from renewable resources and designing them in such a way that they can release the drug in response to stimuli which are specific to cancer site only.”
Further, Dr. Agrawal, mentioned, “The designed system should be capable of supporting drugs having different solubility in water. In this regard, the simplest approach that we followed for developing biodegradable nanoparticles is using chitosan, which is a naturally derived polymer, in combination with disulfide chemistry.”
IIT Mandi researchers have developed redox responsive chitosan/stearic acid nanoparticles (CSSA NPs) as drug carriers for both curcumin (hydrophobic; a component from turmeric that is used daily in food) and doxorubicin (hydrophilic) drugs delivery targeting colorectal cancer. This approach of combining anticancer drugs having a different mode of anticancer action allows to develop the systems for cancer therapy with enhanced efficacy.
Talking about the uniqueness of their research, Ms Aastha Gupta, research scholar, IIT Mandi, said, “We have synthesized nanoparticles based on disulfide (−S−S−) crosslinking chemistry via air oxidation of thiolated chitosan and thiolated stearic acid, thus avoiding the use of any external crosslinking agent. We have tried five different combinations of thiolated polymers to select the combination best suitable for obtaining stable and uniform nanoparticles. The presence of disulfide bonds allows the degradation of these smart nanoparticles at the tumour site owing to higher glutathione amounts in cancer cells.”
The researchers at IIT Mandi have developed biodegradable nanoparticles from renewable resources, thus reducing the dependency on petroleum-based polymers. These smart nanoparticles are stable under physiological conditions and degrade at tumor sites in the presence of redox stimuli of cancer cells. These nanoparticles can be used to successfully load and release both hydrophilic and hydrophobic drugs having a different anticancer mechanism which can help to improve the treatment efficiency.
Researchers have also investigated cancer cell killing efficiency through in vitro studies, and the colon targeting ability of the designed system through in vivo biodistribution experiments on c57bl/6j mice.
The research team further plans to perform biological studies to gain deeper insight into the potential of the developed system for colorectal cancer treatment.
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