खड़गपुर महकमा अस्पताल के कोविड सेफ होम के 18 अस्थाई कर्मचारी बुधवार को अस्पताल सुपरिटेंडेंट कार्यालय के समक्ष धरने में बैठ गए व मांगों की तख्ती लिए नारेबाजी के जरिए विरोध दर्ज कराए। कर्मचारियों कीमांग है कि उनलोगों को पुनः नियुक्ति देनी होगी, बाहरी लोगों की नियुक्ति नही चलेगी .अविलंब बकाया वेतन भुगतान हो। धऱने पर बैठे कर्मचारी बाबू घोष का आरोप है कि पिछले 2 वर्षों से वे सब यहां कार्यरत हैं लेकिन विगत 5 महीने से उनलोगों के वेतन का भुगतान नही किया गया अब अचानक नौकरी से बैठा दी घई है। इन लोगं का कहना है कि कोविड काल से वे लोग जान जोखिम में डालकर वे लोग सेवाएं देते आ रहे है . अब अचानक फंड एलॉट ना होने का बहाने से उन सारे कर्मचारियों को छांट दिया गया है . इस प्रकार एक तरफ न तो बकाया वेतन ही मिल रहा है न ही पुनः नियुक्ति। सरस्वती नायक का कहना है कि उनलोगों को साफ सफाई के काम में भी लगाया गया। आक्सीजन प्लांट में अप्रशिक्षित लोगों को 100 रु दिहाड़ी में काम दे दिया गया जबकि उनलोगों को एक दिन का प्रशिक्षण दिया गया था।
ज्ञात हो कि कोविड के समय सेफ होम में भर्ती कोरोना रोगी के देखभाल के लिए जिला स्वास्थय़ विभाग ने डालफिन इंटरप्राइज नामक ठेकेदार संस्था के साथ समझौता किया था व इंटरप्राइज ने 18 लोगों को नियुक्त किया था ये लोग साढ़ें आठ हजार मासिक पाते थे। ठेकेदार प्रशांत घोष का कहना है कि कर्मचारियों के साथ उनका सहानुभुति है बीते लगभग साढ़े चार माह का वेतन बकाया है लेकिन स्वास्थय़ विभाग से उन्हें फंड नहीं मिल रहा है तो वे कैसे लोगों को काम पर रख सकते हैं। घोष ने कहा कि शुक्रवार को वे जिला के मुख्य स्वास्थय अधिकारी से मिलकर मामले पर बात करेंगे उऩ्होने कहा कि अस्पताल की ओर से 18 में से 12 लोगों के नौकरी के लिए आफर दिए गए जिसमें से 6 को सेक्युरिटी व 6 को हाउस कीपिंग में रखने की बात थी पर 18 कर्मचारियों ने सभी को काम देने की बात पर अड़ गए जिससे बात नहीं बनी। इधर सेफ होम में रोगी शून्य होने के कारण सेफ होम के बंद होने की चर्चा भी जारी रहा हांलाकि खड़गपुर महकमा अस्पातल के सुपरिटेंडेंट मांडी ने इसे मात्र कोरा अफवाह बताते हुए कहा कि सेफ होम बंद करने की कोई योजना फिलहाल नहीं है। उन्होने आंदोलनकारियों के मुद्दे पर कहा कि यह ठेकेदारी संस्था की समस्या है वह ही बताएंगे। अब कोरोना में मिले नौकरी के जाने से 18 युवक युवतियां फिर से बेरोजगार हो गए हैं। .
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