पुरस्कार वितरण, साहित्यिक प्रश्नोत्तरी, पुस्तक लोकार्पण सहित गीत प्रस्तुति
कविगुरु रवीन्द्रनाथ जयंती के उपलक्ष्य में दिनांक 09.05.2024 को नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति, खड़गपुर के तत्वावधान में प्रातः 0900 बजे से 1600 बजे तक गार्गी सभागार, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, खड़गपुर में भव्य समारोह का आयोजन किया गया। आईआईटी खड़गपुर के राजभाषा विभाग के अध्यक्ष प्रो. संजय चतुर्वेदी ने सभी अतिथियों का हार्दिक स्वागत किया और अपने स्वागत वचन में कहा कि निबंध एवं गीत का यह आयोजन विद्यार्थियों को भाषा एवं साहित्य से जोड़ने का प्रयास है जिससे नई पीढ़ी जीवन के उतार चढ़ावों को भी सहज भाव से जीने का आनंद ले।
श्री अमित पात्र, उपनिदेशक, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, खड़गपुर ने अपने अध्यक्षीय सम्बोधन में हिन्दी भाषा की विशेषताओं सहित इसके प्रचार प्रसार की आवश्यकता को बताते हुए सभी पुरस्कार विजेताओं को बधाई दी तथा आगामी प्रतियोगिता के लिए शुभकामनाएं दी। आपने कहा कि भाषा हमारे संवाद में बाधक नहीं हैं बल्कि संवाद की प्रेरक है और संस्कृति की संवाहक है। भाषा के माध्यम से हम अन्य लोगों के ही नहीं बल्कि संस्कृतियों, सभ्यताओं एवं इतिहास से परिचित होते हैं जिनसे जीवन और लोक संस्कार की निर्मिति होती है। आपका विचार था कि हमें अधिक से अधिक भाषाएं सीखनी चाहिए और इसके लिए गीत, संगीत, कविता का गायन और गुनगुनाना सबसे अच्छा उपाय है। गुरुदेव रबीन्द्र के गीत एवं संगीत को देश की संस्कृति का आधार स्थापित करते हुए उन्होंने संगीत को जीवन निर्माण की आधारशिला कहा।
प्रथम सत्र में प्रो. संजय कुमार चतुर्वेदी, प्रो. पंकज साहा, प्रो. रंजीत सिन्हा, प्रो. प्रकाश अग्रवाल, डॉ. पिंकी बाघमरे, श्री योगेंद्र शुक्ल सुमन, श्री नन्द लाल रौशन, श्री नवल केडिया, श्री अक्षत डिमरी, श्री वेद प्रकाश मिश्र, श्री प्रभात गुप्ता, श्री सत्यपाल सन्नू के कर कमलों से हिन्दी निबंध प्रतियोगिता के कुल 182 विजेताओं को पुरस्कृत किया गया। विद्यार्थियों एवं निबंध के संबंध में प्रो. पंकज साहा, प्रो. प्रकाश अग्रवाल, प्रो. रंजीत सिन्हा ने अपने विचार व्यक्त किए।
हावड़ा वि.वि. से पधारे प्रो. अभिजीत सिंह ने लोक जीवन में कविता और गीत के सम्बन्ध के विषय में विद्वत व्याख्यान देते हुए कही कि लोक जीवन की शिराओं में कविता और गीत बसते हैं और इसकी ऊर्जा हैं। सुप्रसिद्ध साहित्यकार प्रो. प्रेम शंकर त्रिपाठी ने स्मृतियों के झरोखे से अनेक गीतों के मुखड़े एवं संदर्भ लेते हुए विद्यार्थियों एवं उपस्थिति जनसमूह को गीत परंपरा के गांभीर्य एवं शिखरों से परिचित कराते हुए कहा कि गीत जीवन के प्रत्येक पक्ष का प्रत्यक्ष संवेदनात्मक दर्शन कराने में सक्षम होता है। उन्होंने अपनी स्मृतियों से अनेक गीतों को याद करते हुए विद्यार्थियों का आह्वान किया कि अपनी भावनाओं को अवश्य व्यक्त करते रहें। आपने कहा कि सभी को गीत, कविता का पठन, चिंतन, मनन करते रहना चाहिए यह जीवन दर्शन की सफलता है। श्री योगेन्द्र शुक्ल सुमन की सुप्रसिद्ध कविता भारत वर्ष के कुछ छंद सुनाते हुए उन्होंने कवि को बधाई दी। श्री नन्द लाल रोशन ने सुमन जी के साथ अपने अनेक संस्मरण सुनाए।
तदुपरान्त हिंदी भाषा तथा हिंदी साहित्य की महता को प्रदर्शित करते हुए भारतीय स्टेट बैंक के क्षेत्रीय व्यवसाय कार्यालय -3, खड़गपुर ने “साहित्यिक प्रश्नोत्तरी” का आयोजन किया। प्रतियोगिता में हिन्दी साहित्य से जुड़े प्रश्नों को लिया गया था, जिसमें कुल 91 लोगों ने प्रतिभागिता सुनिश्चित कर आयोजन को सार्थक बनाया। प्रतियोगिता का आयोजन श्रीमती नेहा गोयल, उप प्रबंधक(राजभाषा), भारतीय स्टेट बैंक, कोलकाता ने किया।
तदुपरान्त माननीय अतिथियों की उपस्थिति में श्री योगेंद्र शुक्ल सुमन जी की पुस्तक “सबको गीत सुनाता चल” का लोकार्पण के बाद प्रो. प्रेमशंकर त्रिपाठी जी द्वारा “गीत स्मृतियों में” पर विशेष सम्बोधन सहित प्रो. अभिजीत सिंह द्वारा “गीत, कविता और लोक जीवन का अंतर्संबंध” पर विशेष व्याख्यान दिया गया।
तदुपरान्त श्री योगेंद्र शुक्ल सुमन ने अपने सर्वश्रेष्ठ प्रिय गीतों की प्रस्तुति और पुस्तक चर्चा प्रस्तुत की। श्री वेद प्रकाश मिश्र ने सुमन जी के गीत ‘है सफर ये शुरु दर्द के गाँव से’ की मनमोहक प्रस्तुति दी। श्री राण विजय प्रताप ने प्रो. अमित पात्र को आईआईटी बीएचयू का निदेशक नियुक्ति की बधाई एवं विदाई गीत के माध्यम से दी।
कार्यक्रम का सफल संचालन डॉ. राजीव रावत, सदस्य सचिव तथा हिन्दी अधिकारी, आईआईटी खड़गपुर ने किया। नराकास खड़गपुर के सदस्य कार्यालयों से पधारे हिन्दी अधिकारियों की योजना एवं समीक्षा बैठक में आगे के कार्यक्रमों की योजनाओं पर विचार हुआ तथा अभी तक के कार्यक्रमों की समीक्षा हुई। सभी के प्रति धन्यवाद ज्ञापन के बाद कार्यक्रम संपन्न हुआ।