श्री श्री 108 भारत के कर्मठ एवं प्रतिभावान भ्रष्टाचारियों को समर्पित . . .
चोरी ऊपर से सीनाजोरी जारी रख .
गल – थेथरी-ओ-कुतर्क कोरी जारी रख .
चर्चा फिजूल है फरेब – ओ – बेईमानी की ,
लूट , झूठ – ओ – हरामखोरी जारी रख .
विशेष-छूट की फितरत गर जो बनी है लत ,
लिहाजा अवांक्षित हठ – छिछोरी जारी रख .
सजा से बचने की राहें हैं बंद तो क्या ,
बेजान दलीलें , थोथी – थ्योरी जारी रख .
तुर्रम खां हो अनुशासन की बजाओ बैंड ,
बिला वजह नाहक बरजोरी जारी रख .
✍जयराम गंभीर /8167261845