21वीं सदी के 131 श्रेष्ठ व्यंग्य रचना संचयन का पद्मश्री अशोक चक्रधर द्वारा लोकार्पण

21वीं सदी के 101 श्रेष्ठ व्यंग्यकार मेगा योजना का लोकार्पण उत्सव भरे माहौल में विश्वविख्यात साहित्यकार अशोक चक्रधर के कर कमलों द्वारा गांधी जयंती के दिन संपन्न हुआ।इस अवसर पर डॉ अशोक चक्रधर ने कहा-कि व्यंग्य बहुत प्रभावशाली विधा है इसके अलावा यह अन्य विधाओं में भी संक्रमण करती है।इसमें युद्ध और कुश्ती का उदारहण देते हुए बताया कि जहां युद्ध का उद्देश्य व्यक्ति को समाप्त करना होता है,वहीं कुश्ती एक ऐसा खेल है जिसमें सभी खिलाड़ी एक दूसरे की जय से खुश होते है,उन्होंने सम्पादकों को और सभी शामिल लेखकों को भी बधाई दी और कहा कि संचयन अवश्य जन-जन तक पहुंचेगा और अपने उद्देश्य में भी कामयाबी होगी।

इस ऐतिहासिक और संग्रहणीय संकलन के संपादकों में से एक प्रख्यात रचनाकार और समालोचक प्रोफेसर राजेशकुमार ने कहा कि इस संकलन के विमोचन के लिए आज के दिन से बेहतर दिन नहीं हो सकता था क्योंकि आज उस दिव्यात्मा का अवतार दिवस है, जिसने दुनिया के सभी लोगों को सत्य पर चलने की राह दिखाई, जो रचनाकार का भी महत्वपूर्ण कर्तव्यों से एक है, और इसके लोकार्पण के लिए सुप्रसिद्ध साहित्यकार पद्मश्री अशोक चक्रधर से बेहतर व्यक्ति नहीं हो सकता था, जिनकी हास्य-व्यंग्य और साहित्य की समझ का कोई सानी नहीं है. इस संकलन को साहित्य के क्षेत्र में एक उपलब्धि मानते हुए उन्होंने आगे कहा कि साहित्य का कार्य लोगों को आपस में जोड़ना होता है, और लोगों के दुख-दर्द और खुशियों को समेटते हुए उन्हें लोकोत्तर की ओर ले जाना होता है, ताकि वे अपने जीवन के उद्देश्य को समझकर उसे पूरा करने की दिशा में अग्रसर हो सकें. उन्होंने बताया कि व्यंग्य विधा सभी लेखकों की प्रिय विधा है और हर साहित्यकार किसी न किसी रूप में व्यंग्य का या तो विधा के स्तर पर या उपकरण के तौर पर अपने साहित्य में उपयोग करता है। समाज के परिवर्तन और उत्थान की दिशा में व्यंग्य क्षमता को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि व्यंग्यकार हमेशा उसके साथ खड़ा रहता है, समाज में जिसे उसकी सबसे ज्यादा जरूरत होती है।

संकलन के दूसरे संपादक सुप्रसिद्ध व्यंग्यकार और कवि श्री लालित्य ललित ने इस अवसर पर कहा कि उन्हें व्यंग्य विधा में अपार संभावनाएं दिखाई देती हैं और न केवल वे अपने व्यंग्य लेखन के माध्यम से बल्कि अन्य लोगों की व्यंग्य रचनाओं के माध्यम से पाठकों को साहित्य सुख देने में विश्वास रखते हैं। उन्होंने कहा कि इससे पहले वे दो बड़े संकलन तैयार कर चुके हैं, लेकिन यह संकलन विशेष रूप से चुनौतीपूर्ण और आनंददायक था, क्योंकि इसके माध्यम से उन्होंने साहित्य की गुणवत्ता और साहित्य की क्षमता के बहुत से नए आयाम महसूस किए। उन्होंने यह भी कहा कि अच्छे साहित्य को पाठकों के लिए प्रस्तुत करना आवश्यक और महत्वपूर्ण सेवा है और उन्होंने ऐसा करते हुए बहुत संतुष्टि और आनंद का अनुभव किया है. उन्होंने यह भी कहा कि साहित्यकारों को साथ लाने के ऐसे प्रयास आगे भी जारी रहेंगे और इस तरह से हम पाठकों और साहित्य की सेवा में खुद को समर्पित रखेंगे।

प्रलेक प्रकाशन समूह, मुम्बई, महाराष्ट्र के युवा निदेशक श्री जीतेंद्र पात्रों ने इस अवसर पर कहा कि इस तरह के संकलन को प्रकाशित करना बहुत चुनौतीपूर्ण कार्य होता है, क्योंकि इसे असाधारण रूप से बहुत कम समय में तैयार करके प्रकाशित किया गया है। उन्होंने कहा कि संकलन के बड़े उद्देश्य को देखते हुए उन्होंने इस चुनौती को स्वीकार किया और इसे पाठकों के लिए इतने कम समय में और इतने गुणवत्तापूर्ण ढंग से तथा मुनासिब कीमत पर पेश करने का बीड़ा उठाया. उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि यह संकलन लोगों में व्यंग्य को समझने और उसके आस्वादन की महत्वपूर्ण कमी को पूरा करेगा. भारत के प्रदेशों के चयनित व्यंग्यकारों का लेखा-जोखा बताते हुए श्री जितेंद्र पात्रो ने बताया कि इस संचयन में मध्य प्रदेश से 36, उत्तर प्रदेश से 22, राजस्थान से 16, राजधानी दिल्ली से 12, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ से 10 प्रत्येक, उत्तराखंड से 4, हिमाचल प्रदेश और बिहार से 3 प्रत्येक, पंजाब और झारखंड से 2 प्रत्येक, तथा पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, चंडीगढ़, जम्मू, तमिलनाडु, और तेलंगाना से 1 प्रत्येक सम्मिलित किए गए हैं. इसके साथ ही कनाडा से 3, तथा ऑस्ट्रेलिया और न्यू ज़ीलैंड से 1 प्रत्येक, व्यंग्यकारों को संचयन में स्थान मिला है। प. बं. से एकमात्र व्यंग्यकार डा. पंकज साहा के व्यंग्य रचना को श‍ामिल कियागया है। विमोचन कार्यक्रम ऑनलाइन मुंबई से किया गया।

Exit mobile version