हिंदी
“हिंदी” माँ सी तुम
लिए हुए हो अपनी गोद में,
अनेकों भाषाओं को
समेटे हुए हो पूरी वसुधा की
हर ध्वनि को हृदय में
संस्कृत की बेटी हो
उर्दू को बहन मानती हो
हिंदी तुम कितनी
भाषाएँ जानती हो !!
सनातन संस्कृति के संस्कार,
वसुधैव कुटुम्बकम को
अपनी शब्दावली में
कर विराजित भारत भूमि की
रग-रग में बहती हो
यहाँ आए हर अतिथि को
देकर देवसम आदर
धर्म की भाषा को
सदा सम्मानित करती हो।
एकमात्र इस तपोभूमि में
जहाँ एकत्रित हो रहते
अनेकों धर्म,भाषाएँ और संस्कृतियाँ
“हिंदी” तुम उसी तरह
भारत को गर्वित करती हो
हिंदी तुम जिनकी लिपि में नहीं
उनकी भी ज़ुबान पर सजती हो
तुम सचमुच हर भारतीय की
भावनाओं को समझती हो।
“हिंदी” माँ सी तुम
लिए हुए हो अपनी गोद में,
अनेकों भाषाओं को
समेटे हुए हो पूरी वसुधा की
हर ध्वनि को हृदय में
संस्कृत की बेटी हो
उर्दू को बहन मानती हो
हिंदी तुम कितनी
भाषाएँ जानती हो !!
सनातन संस्कृति के संस्कार,
वसुधैव कुटुम्बकम को
अपनी शब्दावली में
कर विराजित भारत भूमि की
रग-रग में बहती हो
यहाँ आए हर अतिथि को
देकर देवसम आदर
धर्म की भाषा को
सदा सम्मानित करती हो।
एकमात्र इस तपोभूमि में
जहाँ एकत्रित हो रहते
अनेकों धर्म,भाषाएँ और संस्कृतियाँ
“हिंदी” तुम उसी तरह
भारत को गर्वित करती हो
हिंदी तुम जिनकी लिपि में नहीं
उनकी भी ज़ुबान पर सजती हो
तुम सचमुच हर भारतीय की
भावनाओं को समझती हो।
हिंदी दिवस की शुभकामनाओं सहित
मनोज कुमार साह, खड़गपुर
14.9.2020