तारकेश कुमार ओझा
खड़गपुर : कालिया नाम से सहजता – सरलता का बोध होता है . खड़गपुर का कालिया भी ऐसा ही है . शहर के बोगदा में चाय की दुकान चलाता है , लेकिन लॉक डाउन के दौरान दोस्तों की सहायता से इसने जो किया , वो कोई बड़े जिगर वाला ही कर सकता है . कालिया का असली नाम यूं तो शंकर साहू है , लेकिन इलाके में लोग उसे कालिया नाम से ही जानते हैं . उसकी चाय की दुकान भी इसी नाम से मशहूर है .
लॉक डाउन की घोषणा होते ही कालिया के मन में बेसहारा – भूखे लोगों का ख्याल आया और उसने घर से चावल – दाल वगैरह लाकर लंगर शुरू किया . शुरू में किसी ने नहीं सोचा था कि लॉक डाउन के साथ यह लंगर इतना लंबा चलेगा . कालिया के मुताबिक अजीत , जॉन , बाबा और मनोज सिंह आदि का सहयोग मिलने पर उसने इस कार्य को ज्यादा व्यवस्थित तरीके से करना शुरू किया . रोज रात को २५० लोगों को भोजन कराया जाता है , जिस पर तकरीबन चार हजार रुपये का खर्च आता है . चावल , दाल और सब्जी वे देते है. जबकि उदार मना लोगों के अंडा व अन्य सब्जियों का योगदान देने से भोजन कुछ अधिक स्वादिष्ट और पौष्टिक हो जाता है . वे २५० लोगों के अनुमान से भोजन तैयार करते हैं , परिस्थिति के लिहाज से खाने वाले कभी कम तो कभी ज्यादा भी हो जाते हैं . भोजन में लगने वाले पत्तल पर ही तीन से चार सौ रुपये का रोजाना खर्च आता है . मनोज सिंह ने इस कार्य को टीम भावना का परिणाम बताते हुए कहा कि इस महती कार्य में सहयोग देने वालों के प्रति वे दिल से आभारी हैं . इससे सिद्ध होता है कि पहल की शुरुआत हो तो मददगार मिल ही जाते हैं . केवल शिकायत करने से अच्छा है कि कुछ रचनात्मक और सकारात्मक किया जाए .