Site icon

आईआईटी खड़गपुर पेंशनर्स एसोशिएसन के किया विरोध प्रदर्शन, पुरानी स्वास्थय सुविधाएं बहाल करने की मांग सुविधाओं में कटौती नहीं, परिस्थिति को देखते हुए नियमों में बदलावः रजिस्ट्रार

  •                        रघुनाथ प्रसाद साहू

खड़गपुर। आईआईटी खड़गपुर प्रशासन ने स्वास्थय सुविधाओं को लेकर नियमों में कुछ बदलाव किए किए हैं जिसका आईआईटी खड़गपुर पेंशनर्स एसोशिएसन विरोध कर रही है व पुरानी व्यवस्था लागू करने की मांग कर रही है जबकि आईआईटी प्रबंधन का कहना है कि वर्तमान परिस्थिति को देखकर नए नियम लागू किए गए हैं। ज्ञात हो कि स्वास्थय सुविधाओं को लेकर प्रबंधन व पेंशनर्स एसोशिएसन के बीच जिच कायम है। बुधवार को एसोशिएसन के बैनर तले पेशनरों ने आईआईटी मेन गेट के समक्ष विरोध प्रदर्शन किया। एसोशिएशन के पूर्व उपाध्यक्ष के. आर पांडा का कहना है कि पेंशनरों को आईआईटी के बीसी राय अस्पताल से पीआरएमएस स्की के तहत जो सुविधाएं मिलती है आईआईटी प्रबंधन बीते 17 मई को सर्कुलर जारी कर उस पर रोक लगा दी है जिसके अनुसार अब पेंशनर सिर्फ सोमवार और बुधवार को अस्पताल जा सकते हैं इससे पहले हम अस्पताल से प्रतिदिन चिकित्सा सुविधा मिलती थी उन्होने कहा कि वे लोग निदेशक से बात करना चाहते थे पर निदेशक प्रो. वी के तिवारी सीनेट की बैठक में थे इसलिए उपनिदेशक प्रो एस के भट्टाचार्य ने जल्द बातचीत के लिए मिलने का समय देने का आश्वासन दिया है। एसोशिएसन के अध्यक्ष चपल दास का कहना है कि बाहर से बुजुर्गों का दवा लेना संभव नहीं है। जबकि एसोशिएसन के पूर्व  महासचिव ए. के कुमार का कहना है कि संस्थान से हमारा लगाव है ऐसे में हम पर किसी तरह का रोक उचित नहीं। आईआईटी प्रबंधन का मानना है कि संस्थान में जो चार से पांच हजार बच्चे लाकडाउन में फंसे हुए है उनकी सुरक्षा पहली प्राथमिकता है सिर्फ पेंशनरों को ही नहीं जो कर्मचारी संस्थान से बाहर रहते हैं उन्हें भी कैंपस में गैरजरुरी आवागमन से रोक लगाई जा रही है। इस संबंध में आईआईटी कुलसचिव प्रो. बी. एन सिंह का कहना है कि वर्तमान कोविड-19 को देखते हुए नए नियम बनाने पड़े उन्होने कहा कि पेंशनर्स की सुविधाओं को कटौती का प्रश्न ही नहीं उठता। सिर्फ नियमित लेने वाले दवाओं के लिए समय निर्धारित की गई है पर आपातकाल मामले में 24 घंटे पेंशनर इलाज करा सकते हैं उन्होने कहा कि दवा बाहर से रिइमबर्स ले सकते हैं व लगभग 95 फीसदी पेंशनर्स ऐसा करते भी हैं। उन्होने कहा कि बुजुर्ग पेंशनर्स हमारे अभिभावक जैसे हैं उन्होने उम्मीद जाहिर किया कि पेंशनर परिस्थिति को समझते हुए संस्थान को सहयोग करेंगे।

Exit mobile version